Shashi Shekher Singh Poems

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1.
प्यार के दो बोल

काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,
...

2.
एक भोली माँ

माँ का नटखट गोपाला,
बड़े नाजो से उसको था पाला,
फुदकता, खेलता इधर-उधर,
ढूंढती परेशान हो माँ ना जाने किधर।
...

3.
इंडियन आर्मी

आँधिया रास्ते क्या रोकेंगे,
ये खुद तूफान से चलते हैं।
हर जर्रे कांपते है जनाब,
जब आर्मी गस्त पे निकलते है।
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4.
Kisi Kaa Pyar

मेरे ख्वाबो के बड़े महल की,
तुम इकलौती महारानी हो।
मैं कोड़ा कागज हु,
तुम इसपे लिखी रंगीन कहानी हो।
...

5.
आज की सामाजिकता

आज दहसत का आलम,
हर शहर हर जर्रे में है।
अब हर माँ, बहन, बेटी की,
आबरू खतरे में है।
...

6.
आज के लोग

शोहरत की बुलंदियों पे,
अपनो से दूर।
पैसो की गर्मी में,
घमंड से चूर।
...

7.
मेरी सोच

मैंने आते जाते दिन किसी ना किसी को ये कहते हुए सुना है कि वो सिर्फ आगे बढ़ना जानते है, पीछे मुड़कर देखना उन्होंने कभी नही सीखा है।
आज हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति इसी धारणा के साथ पीछे मुड़कर ना देखते हुए बहुत ही तेज गति के साथ आगे बढ़ती चली जा रही है। और ऐसे ही पता नही हमलोग कब तक बिना सोचे बिना मुड़ते हुए बढ़ते जाएंगे।

अब वो समय आ गया है, जब हमलोगों को एकबार पीछे मुड़कर अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति को देखना चाहिए, हमे अपनी पुरानी संस्कृति को याद कर लेना चाहिए।
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8.
भूमिहार

सूरज सा तेज प्रकाश है,
शत्रुओ का जो बिनाश है,
जग माने जिसका लोहा,
जिससे धरा,
...

9.
परिंदा और चाँद

परिंदे की ख्वाहिशहै,
खूबसूरत चाँद को पाने की,
फिकर न है उसको
अब इस जमाने की,
...

10.
अपने और पराये

अपनो का दामन छोड़,
गैरों के जो गले मिलते है।
क्या रेगिस्तान में देखा,
कभी कमल खिलते है।
...

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