Shashi Shekher Singh

Shashi Shekher Singh Poems

काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,
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माँ का नटखट गोपाला,
बड़े नाजो से उसको था पाला,
फुदकता, खेलता इधर-उधर,
ढूंढती परेशान हो माँ ना जाने किधर।
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आँधिया रास्ते क्या रोकेंगे,
ये खुद तूफान से चलते हैं।
हर जर्रे कांपते है जनाब,
जब आर्मी गस्त पे निकलते है।
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मेरे ख्वाबो के बड़े महल की,
तुम इकलौती महारानी हो।
मैं कोड़ा कागज हु,
तुम इसपे लिखी रंगीन कहानी हो।
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आज दहसत का आलम,
हर शहर हर जर्रे में है।
अब हर माँ, बहन, बेटी की,
आबरू खतरे में है।
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शोहरत की बुलंदियों पे,
अपनो से दूर।
पैसो की गर्मी में,
घमंड से चूर।
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मैंने आते जाते दिन किसी ना किसी को ये कहते हुए सुना है कि वो सिर्फ आगे बढ़ना जानते है, पीछे मुड़कर देखना उन्होंने कभी नही सीखा है।
आज हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति इसी धारणा के साथ पीछे मुड़कर ना देखते हुए बहुत ही तेज गति के साथ आगे बढ़ती चली जा रही है। और ऐसे ही पता नही हमलोग कब तक बिना सोचे बिना मुड़ते हुए बढ़ते जाएंगे।

अब वो समय आ गया है, जब हमलोगों को एकबार पीछे मुड़कर अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति को देखना चाहिए, हमे अपनी पुरानी संस्कृति को याद कर लेना चाहिए।
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सूरज सा तेज प्रकाश है,
शत्रुओ का जो बिनाश है,
जग माने जिसका लोहा,
जिससे धरा,
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परिंदे की ख्वाहिशहै,
खूबसूरत चाँद को पाने की,
फिकर न है उसको
अब इस जमाने की,
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अपनो का दामन छोड़,
गैरों के जो गले मिलते है।
क्या रेगिस्तान में देखा,
कभी कमल खिलते है।
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मानवता का गला घोंट कर,
कायरो ने किया है वार।
हे भारत के वीर सपूतों,
निकालो अपनी तलवार।
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Pappu hota to kya hota,
Pakistan ki gand wo dhota,
Rota aatankwadi ke maut pe,
Apno ko khokar, bas bhart rota.
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ढूंढो कोई उनसा कहीं,
गैर होकर भी जो अपना सा हो,
जिनकी हँसी दिल मे बसे,
हकीकत भी मानो,
...

Ek Bat Hamari Aaj Suno,
Ek Sapna Tum Bhi Aaj Buno, Padhegi Beti, Badhegi Beti,
Aisi Tum Aaj Rah Chuno.
...

Yado Ki Dariyan Me Jab Man Gote Khata Hai,
Kavi Dil Jor Se Hasta To Kavi Ro Jata Hai,
Na Bhula Sakte Papa Ka Hanth Tham Kar Chalna Sikhna,
Khiloone Ki Jid Me Unhe Apni Tarf Khinchna,
...

हाँथो में जिसके जादू समाया हैं,
चरणों में जिसके खुदा भी सर झुकाया हैं,
जिसके कदमो में जन्नत की सैर है यारो,
खुशहाल हु मै जो माँ का प्यार पाया है,
...

जल रहे चिते से निकली इक आवाज़,
जिसको सुन ले ये पूरा समाज,

गाँव में इक अबला नारी थी,
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आस-पास कोई चीख रहा था,
पर वो न दिख रहा था।
इस बात पे यकीं न हो पाया,
इक कटे पेड़ को सामने पाया।
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प्यारी दुलारी और मेरी लड़ो,
मेरी बहने, पुंची और साधो।
मेरे घर की दो अनमोल रतन है,
जो, शरारती, भोली और चंचल मन है।
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The Best Poem Of Shashi Shekher Singh

प्यार के दो बोल

काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,

काम बिगाड़ सकते है तेरे गुस्से के दो बोल,
आज समझ ले प्यारे अपने बोलो के तू मोल,
कही किसी के दिल पे ना लग जाये तेरी बात,
कही सामने बाले का, उठ जाये ना हाँथ,
सोची समझी बात तुम्हे ना देगी तकलीफ,
तभी जलेगी प्यारे दिल में प्यार के हरपाल दिप,

नम्र बनो तुम,
छमा करो तुम,
प्यार करो तुम साबसे,
दुनिया बाले दुआ करेंगे,
तेरे खातिर रब से,

प्यार के बदले प्यार मिले,
खुशियो की बयार चले,
मिटा दो सारे शिकवे गीले,
दर्द किसी को नहीं मिले,

बनो प्रेरणा सबकी तुम,
ऐसा करो तुम काम,
तवी तो प्यारे जग में होगी,
बस तेरी गुणगान,

शशि शेखर

Shashi Shekher Singh Comments

Shashi Shekher Singh Quotes

Kisi Se Kuch Chin Lena Aasan Hai Mangna Behad Kathin.

Koi Bhi Kisi Ki Khilli Uda Deta Hai, Per Badle Me Agar Usko Wahi Mile To Iska Mtlb Ye Nai Hai Ki Us Dusre Beyakti Me Sanskar Nai Hai, Ya Uske Maa Bap Usko Kuch Shikhate Nai

खुदा से उम्मीद रखने से अच्छा है खुद पे उम्मीद रखना

मैं हमेशा हँसता हु, क्योंकि ज़िन्दगी हरपाल चोट देती है,

लंबी लंबी राते, अक्सर छोटी छोटी करवटों में बीत जाती है,

Logo ko thokre girati nahi, balki sambhalti hai. aur esa sambhalti hai k fir wo kabhi nahi girta

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