काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,
काम बिगाड़ सकते है तेरे गुस्से के दो बोल,
आज समझ ले प्यारे अपने बोलो के तू मोल,
कही किसी के दिल पे ना लग जाये तेरी बात,
कही सामने बाले का, उठ जाये ना हाँथ,
सोची समझी बात तुम्हे ना देगी तकलीफ,
तभी जलेगी प्यारे दिल में प्यार के हरपाल दिप,
नम्र बनो तुम,
छमा करो तुम,
प्यार करो तुम साबसे,
दुनिया बाले दुआ करेंगे,
तेरे खातिर रब से,
प्यार के बदले प्यार मिले,
खुशियो की बयार चले,
मिटा दो सारे शिकवे गीले,
दर्द किसी को नहीं मिले,
बनो प्रेरणा सबकी तुम,
ऐसा करो तुम काम,
तवी तो प्यारे जग में होगी,
बस तेरी गुणगान,
शशि शेखर
अद्वितीय कविता जिसमे मानव मानव के बीच प्यार के महाव को रेखांकित किया गया है. आज समझ ले प्यारे अपने बोलो के तू मोल, नम्र बनो तुम / छमा करो तुम / बनो प्रेरणा सबकी तुम,
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