प्यार के दो बोल Poem by Shashi Shekher Singh

प्यार के दो बोल

Rating: 5.0

काँटों के सौदागर भी फूल बिछा सकते है,
आपके दुश्मन भी प्यार बरसा सकते है,
लड़ाई-झगड़ा हर समस्या का हल नहीं प्यारे,
छमा करने से सब तेरी मुरीद हो जा सकते है,

काम बिगाड़ सकते है तेरे गुस्से के दो बोल,
आज समझ ले प्यारे अपने बोलो के तू मोल,
कही किसी के दिल पे ना लग जाये तेरी बात,
कही सामने बाले का, उठ जाये ना हाँथ,
सोची समझी बात तुम्हे ना देगी तकलीफ,
तभी जलेगी प्यारे दिल में प्यार के हरपाल दिप,

नम्र बनो तुम,
छमा करो तुम,
प्यार करो तुम साबसे,
दुनिया बाले दुआ करेंगे,
तेरे खातिर रब से,

प्यार के बदले प्यार मिले,
खुशियो की बयार चले,
मिटा दो सारे शिकवे गीले,
दर्द किसी को नहीं मिले,

बनो प्रेरणा सबकी तुम,
ऐसा करो तुम काम,
तवी तो प्यारे जग में होगी,
बस तेरी गुणगान,

शशि शेखर

प्यार के दो बोल
Sunday, January 15, 2017
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Shashi Shekher Singh 10 April 2017

thanks to all for nice comments

1 0 Reply
Rajnish Manga 16 January 2017

अद्वितीय कविता जिसमे मानव मानव के बीच प्यार के महाव को रेखांकित किया गया है. आज समझ ले प्यारे अपने बोलो के तू मोल, नम्र बनो तुम / छमा करो तुम / बनो प्रेरणा सबकी तुम,

5 0 Reply
Shashi Shekher Singh 16 January 2017

dhanybad

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M Asim Nehal 16 January 2017

Kya baat hai, maza aagaya padh kar...10++

4 0 Reply
Shashi Shekher Singh 16 January 2017

dhnybad bhai

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Lakhisarai, Bihar
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