Kisi Kaa Pyar Poem by Shashi Shekher Singh

Kisi Kaa Pyar

मेरे ख्वाबो के बड़े महल की,
तुम इकलौती महारानी हो।
मैं कोड़ा कागज हु,
तुम इसपे लिखी रंगीन कहानी हो।
मैं तो हु प्यासा,
तुम तो मेरे लिए जल हो।
तुम कविता, संगीत तुम मेरी गजल हो।
मैं घोर अंधेरा से,
तुम उसमे प्रज्वलित प्रकाश हो।
मेरे उदास पालो की,
तुम मानो हर्ष उल्लास हो।
मैं तो हु दर्द,
तुम उसकी दवा हो।
मेरे सासों के लिए,
तुम मानो जैसे हवा हो।
तुम मेरी दुआ,
तुम मेरी भक्ति हो।
मैं तेरा राघव,
तुम मेरी शक्ति हो।
मैं समंदर सा,
तुम इसकी उफनती लहरे हो।
जन्मो जन्मो की होगी दोस्ती,
ये कायनात मानो हमसे कह रहे हो।

Saturday, September 9, 2017
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 09 September 2017

It is a beautiful poem on love and friendship. Thrilling expression. Let me quote some linds.. . मैं तो हु प्यासा, तुम तो मेरे लिए जल हो। तुम कविता, संगीत तुम मेरी गजल हो। मैं घोर अंधेरा से, तुम उसमे प्रज्वलित प्रकाश हो। Thanks for sharing.10/10 :)

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