आज के लोग Poem by Shashi Shekher Singh

आज के लोग

शोहरत की बुलंदियों पे,
अपनो से दूर।
पैसो की गर्मी में,
घमंड से चूर।
खराब नियत पे परी,
पैसो की चादर है।
ऐसे ही भ्रस्ट लोगो का,
समाज मे आदर है।
सबो का नीयत अब,
साफ दिखता है।
चिल्लर के भावों मे,
लोगो का ईमान बिकता है।
हर एक का देश, शहर,
और गांव तय है।
बिकना है सबको,
सबका भाव तय है।
दिल मे जिनके,
रहम और ना दया है,
ईमानदारों की अब,
हैसियत ही क्या है।

आज के लोग
Thursday, July 12, 2018
Topic(s) of this poem: social
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Shashi Shekher Singh

Shashi Shekher Singh

Lakhisarai, Bihar
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