लोग मिले, बहुत मिले हमको यारो,
हर एक कि पहचान यहाँ, आसाँ निकली,
पर ये क्या हुई बात, ख़ुद को ही पहचान नहीं पाये,
या ख़ुदा, कैसे और कितने हम, नादाँ निकले,
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कब तक तू रुलाएगी ऐ किस्मत,
ना उम्मीदी तू कब तक राहों मैं बिछाएगी,
अपने हाथों और माथे से मिटा दिया तुझको,
अब हमारी कारगुज़ारी ही हमारे काम आएगी,
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निगाहों मैं, परेशानी,
है आहों मैं परेशानी,
ये नज़र - नज़र का फैर है,
है ख़ताओं कि मेहरबानी,
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वक़्त कटता है यार, बहुत तेज़ी से,
यार अब ज़िन्दगी, कम हुई जाती है,
हालातों की धार भी है, तेज़ हुई,
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आज लगता है के कहीं, चांदनी भी जाग रही है,
सितारों की पलकों पे, कहीं रात पड़ी है,
अल्लाह के इस जहाँ मैं, मोह्हबत कहीं जाग रही है,
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हमेशा से ही हम तो, चाक जिगर रहते हैं,
ना जाने कितने ही सितम, रोज़ यहाँ सहते हैं,
मन ही मन कितने ही, आँसू हम बहाते हैं,
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फ़ना तो ज़िन्दगी, यार हो ही जाती है,
मग़र हमारी हस्ती कहाँ, मिटा पाती है,
मौत तो आनी है, आएगी यारो,
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ज़िन्दगी ऐ ज़िन्दगी, क़रार तुझ को कैसे मिले,
बेदाद से भरी ये दुनिया, इंसाफ तुझसे कैसे करे,
जन्नत मिले तो कैसे मिले जब, दोज़क जहाँ हमको लगे,
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क्या देगा तुझे - मुझे ये, ज़माना यारब,
ख़ुदा से ही मिलेगा, जो मिलेगा यारब,
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ज़र्रे - ज़र्रे पे, हमारा निशाँ होगा,
हर हर्फ़ पर लिखा, हमारा नाम होगा,
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