ये नज़र - नज़र का फैर है (Ye Nazar - Nazar Ka Phair Hai) Poem by Nirvaan Babbar

ये नज़र - नज़र का फैर है (Ye Nazar - Nazar Ka Phair Hai)

निगाहों मैं, परेशानी,
है आहों मैं परेशानी,
ये नज़र - नज़र का फैर है,
है ख़ताओं कि मेहरबानी,

वक़्त करता है निगेबानी,
ये कहानी क्या बस मेरी है,
ये तेरी क्या, ये मेरी क्या,
ये वक़्त कि हेरा फेरी है,

ज़माने मैं अकेले थे,
ज़माने मैं अकेले हैं,
ना तेरा - मेरा कोई है,
ये आखें ख़ुद पे रोईं हैं,

क्या उम्मीद करें, रब से,
उसको किसने देखा है,
तेरी किस्मत, याँ मेरी किस्मत,
इसे हम ने ही तो लिखा है,

ये नज़र - नज़र का फैर है,
है ख़ताओं कि मेहरबानी,

निर्वान बब्बर

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