हमारा निशाँ (Humara Nishaan) Poem by Nirvaan Babbar

हमारा निशाँ (Humara Nishaan)

Rating: 5.0

ज़र्रे - ज़र्रे पे, हमारा निशाँ होगा,
हर हर्फ़ पर लिखा, हमारा नाम होगा,

हमारा ख़ुदा हर पल, हमारे साथ होगा,
हमारे हाथों मैं सदा, उसका हाथ होगा,

हमारी फ़ितरत, वो चमकता आफ़ताब होगा,
जिस से रोशन, सारा जाहाँ होगा,

ज़हन मैं सबके, हमारा तूफाँ होगा,
रूह मैं सबकी हमारा जहाँ होगा,

हम जिएं चाहे, जिएं पल दो पल,
वो हर पल, सदियों का बयां होगा,

निर्वान बब्बर

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