सोती थी वो, जो कलियों पर,
वो जो फूलों पे, विचरण करती थी,
मासूम सी वो, जूही की कली,
शीतल पवन, सी लगती थी,
बसंती फूलों, के रंग लिए,
वो साँसों मैं, महका करती थी,
कोमल वो, लताओं सी,
मदमस्त चला वो, करती थी,
वो तरुनी, मस्तानी सी वो,
हर बात पर, मचला करती थी,
चाँद की वो चाँदनी, से धुली,
तारों की रानी लगती थी,
मतवाले योवन से भरी,
मदिरालय सी वो, लगती थी,
झोंका पवन का, आता था जब,
वो ख़ुद मैं ही, सिमटा करती थी,
निर्वान बब्बर
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