Tarun Badghaiya Poems

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1.
तू सुन✍️

तरूण❤❤

मेरे मन के धागे तेरे दिल से लागे, तू सुन तू सुन।
दिल आवारा लागे तेरे पिछे भागे, तू सुन तू सुन ।।
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2.
बेताब परिंदा

बेताब परिंदा तरुण

एक पंछी को खौफ लिए उड़ते देखा
बेताबी आसमान में किंदरते देखा।।
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3.
सोच

सोच

न जाने इतना बड़ा कब हो गया,
अभी तो तेरी उंगली पकड़ चला था इतने आगे हो गया।।
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4.
यार मलंगी

यार मलंगी.....

दो यार मलंगी, वो। दिन सतरंगी
निकले ह घर से दो साथी संगी,
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5.
अधुरा

6.
अकेला

कहीं मैं खुद ही खुद में खो न जाऊ
पीर बहुत हो दिल मे पर रो न पाऊ।
अनायास ही बैचैन रातो में सो न पाऊ,
गुज़रिश है ये खुदा से की तुझसे ऐसा मिलु,
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7.
ग़ज़ल लिखने की कोशिश

आयी ऐसी शाम थी मैं मोम सा जल जल पिघल रहा था,
वो सजी थी दुल्हन सी, जी देखने को मचल रहा था।।
उसका रूप चाँद सा और यौवन चांदनी से बिखर रहा था,
वो चंचल _तरुण_काया सी, मेरे शब्र का बाण टूट रहा था।
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8.
मशवरा ए तस्कीन

तोहमत की आड़ में ज़हनसीब,
अटखेलियां कम ही रखना इकरार में,
भाँप के गुरूर में कोहरे से ना टकराना,
लुप्त हो जाओगे सर्द बाज़ार में।
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9.
आजादी के दिन

आजादी का अरूणोदय हमें कुछ संदेश देता है,
जागरूक प्रहरी हो तुम,
वह कर्तवय का प्रणेता है।
भूल मत जाना कहीं
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10.
मेरी जिन्दगी.....

ऐ जो मेरी भीगी भीगी सी लिखावट है,
लगता है इसमें मेरे अश्को की मिलावट है।।

ऐ जिन्दगी,
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