आजादी का अरूणोदय हमें कुछ संदेश देता है,
जागरूक प्रहरी हो तुम,
वह कर्तवय का प्रणेता है।
भूल मत जाना कहीं
वरना फिर कयामत है,
आजादी सुरक्षित रखो।
बापू की अमानत है।।।
कितनी शान से तिरंगा आज
लहरा रहा है,
देख जिसको देश क्या विश्व भी मुस्करा रहे है ।।
चक्र के चक्र मे शत्रु भी फसता जा रहा है
संभल जा ओ शत्रु ऐ शहीदों का वतन है।।।
बाँधे यहा आजादी के दिवानें
सर पर कफ़न पर है;
इस दिन का मोल क्या है
कभी आँका है तुमने,
पुराना खोल के इतिहास कभी झाका है तूमने, ।।
इतिहास के कुछ सुनहरे पृष्ठों
मै तुमको सुनाता हूँ
आवो चलो झांसी महारानी लक्ष्मी से मिलाता। हूँ।
सन् 1857 याद करे हम थोठा सा,
झांसी गठ के सिंहनि का नाम सुना है थोठा सा;
कुछ पार पाई थी कुल ताकत को खोया था
ज्यों ज्यो अंग्रजो शासन हुआ था वो शहीदों ने तोड़ा था।।।
तेरह दिन तक रानी ने अस्त्र शस्त्र नछोड़ा था,
मरते दम तक सिंहनि से रण से मुँह न मोड़ा था।।।
शायद भारत का सौभाग्य वहाँ सौ वर्षो तक सोया था।।।।।।।
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सबसे पहले इस फोरम पर आपका हार्दिक अभिनंदन है, तरुण जी. देशभक्ति का संदेश देती इस मधुर कविता के लिये धन्यवाद.