मैं देखा करता था, अपने सपनों में एक परी!
लगती थी वो मुझे, खूबसूरत बड़ी!
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ये सोच के हम निकले थे घर से, एक दिन वापस घर होंगे!
जब वापस हम आयेगे, दिन अपने भी सुंदर होंगे! !
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कभी-कभी रोने को दिल करता है!
आंसू नहीं निकलते, लेकिन कलेज़ा ज़लता है! !
हालात से मज़बूर है, जिसपर बस नहीं चलता है,
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Sometimes heart cries!
Don't tear out, but heart cries! !
Is forced by circumstances, which just does not run,
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हमने सोचा हम मानव हैं, दानव सभी दिए हैं मार!
कभी न सोचा था, फिर होंगे कलयुगी दानव से दो-चार! !
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माटी के मकानों में लोग मस्त रहते थे, और माटी से जुड़े रहते थे
मन भी माटी से कोमल थे..
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तुम मेरे दिल में रहते हो
तस्वीरों का फिर क्या करना
जब आँखों में तुम बसते हो
फ़िर नूरे नज़र का क्या करना
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