sunil shukla

sunil shukla Poems

मैं देखा करता था, अपने सपनों में एक परी!

लगती थी वो मुझे, खूबसूरत बड़ी!
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ये सोच के हम निकले थे घर से, एक दिन वापस घर होंगे!
जब वापस हम आयेगे, दिन अपने भी सुंदर होंगे! !
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कभी-कभी रोने को दिल करता है!
आंसू नहीं निकलते, लेकिन कलेज़ा ज़लता है! !

हालात से मज़बूर है, जिसपर बस नहीं चलता है,
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Sometimes heart cries!
Don't tear out, but heart cries! !

Is forced by circumstances, which just does not run,
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हमने सोचा हम मानव हैं, दानव सभी दिए हैं मार!

कभी न सोचा था, फिर होंगे कलयुगी दानव से दो-चार! !
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माटी के मकानों में लोग मस्त रहते थे, और माटी से जुड़े रहते थे

मन भी माटी से कोमल थे..
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तुम मेरे दिल में रहते हो
तस्वीरों का फिर क्या करना
जब आँखों में तुम बसते हो
फ़िर नूरे नज़र का क्या करना
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The Best Poem Of sunil shukla

“मेरी रानी परी”

मैं देखा करता था, अपने सपनों में एक परी!

लगती थी वो मुझे, खूबसूरत बड़ी!

मैं समझता था, मैने देखी है, रानी परी,

चलिए बताता हूँ, कैसी थी वो……

दिल की गहराइयों में उतर जाए, ऐसी थी वो

घटाओं ने उसकी सवारी थी ज़ुल्फें,

समंदर ने उसकी बनाई थी आँखें,

चाँद ने उसका बनाया था मुखड़ा,

होठों पे उसके गुलाबी हँसी थी,

कमल से कोमल थी उसकी हथेली, लगती थी वो मुझे एक पहेली,

एका-एक किसी ने जगाया मुझे, प्यार से झुक-कर उठाया मुझे,

मैने देखा वो मेरे सामने खड़ी थी, चाय का एक प्याला मुझे दे रही थी!

सुबह हो गयी थी! ! ! ..

मेरे सामने मेरी रानी परी थी……….! ! ! ! !

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