“मेरी रानी परी” Poem by sunil shukla

“मेरी रानी परी”



मैं देखा करता था, अपने सपनों में एक परी!

लगती थी वो मुझे, खूबसूरत बड़ी!

मैं समझता था, मैने देखी है, रानी परी,

चलिए बताता हूँ, कैसी थी वो……

दिल की गहराइयों में उतर जाए, ऐसी थी वो

घटाओं ने उसकी सवारी थी ज़ुल्फें,

समंदर ने उसकी बनाई थी आँखें,

चाँद ने उसका बनाया था मुखड़ा,

होठों पे उसके गुलाबी हँसी थी,

कमल से कोमल थी उसकी हथेली, लगती थी वो मुझे एक पहेली,

एका-एक किसी ने जगाया मुझे, प्यार से झुक-कर उठाया मुझे,

मैने देखा वो मेरे सामने खड़ी थी, चाय का एक प्याला मुझे दे रही थी!

सुबह हो गयी थी! ! ! ..

मेरे सामने मेरी रानी परी थी……….! ! ! ! !

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