प्यारी दुलारी और मेरी लड़ो,
मेरी बहने, पुंची और साधो।
मेरे घर की दो अनमोल रतन है,
जो, शरारती, भोली और चंचल मन है।
घर में दोनों खुशियॉ फैलाती,
कभी शांत, कभी शोर मचाती,
जो नटखट नखरों से अपने,
हम सब को है बहुत सताती।
बिन मतलब गुस्सा हो जाना,
फिर प्यार से उन्हें मनाना,
अच्छा लगता ये खेल सुहाना,
मेरी बहनो, मुझसे दूर न जाना।
ऐसा जीवन भर चलता जाए,
तेरे हिस्से के गम मुझे मिल जाए,
भगवान से बस ये दुआ हमारी,
अगले जन्म भी तेरा भाई बन जाएं।
शशि शेखर सिंह
मेरी बहनो को समर्पित ये कविता,
शिवानी और साधना
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