GULSHAN SAHU Poems

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1.
Poet

अनायास ही लोग पूछते हैं,

क्या दिन के चार शब्द ही बोलता है,
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2.
Complacent

विकास हो न सकेगा
पैसों से मौज करते रह जाएंगे,
स्वच्छता अभियान करा लो जितने
खुले में शौच करते रह जाएंगे,
...

3.
Freedom Freedom

साठ बरस बीत गए, क्रांति कि सिर्फ़ धूल उड़ी

विकास की राह पर चलना था जिनको,
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4.
गर बन पड़ता मुझसे

गर बन पड़ता मुझसे,

तो तेरी भी खै़र कर लेता,
...

मैं वो सुलगती आग हूँ,

आवाम की रगों मे जो बहता है,
...

6.
जुड़े रहना पड़ेगा

मैं वो सुलगती आग हूँ,

आवाम की रगों मे जो बहता है,
...

7.
Blades Of Imagination

कभी ऐसा लगता है अटूट हूँ किसी परिंदे की तरह उड़ु,

और कभी कभी डर की राख आँखों में चुभ जाती है,
...

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