एक छोटा सा संवेदन है
करुणा है और बस रुदन है
हाथों में प्याला भावों का
होठों पर आत्म निरीक्षण है
...
उठो परिंदे मरोगे और क्या?
उड़ोगे आसमान में, तो
फिर गिरोगो और क्या! !
कुछ केहकर इस कदर
...
यह पश्चिम का एजेंडा है
भारत बांटने का सबसे
आसान तरीका है
...
इन आंखो के नूर से जो कहानी लिखी जाती है
प्यासे दरिया होते हैं लब्ज पानी होती है
मोहब्बत, वफादारी, दरियादिली, , सब साथ है
...
नफरत को हटाओ मुहब्बत को जिंदा करो
मरे हुए इंसान को फिर से जज्बा करो
गलती से जो खोया भूषण तूने
आंखों के उस अश्क को फिर से सजदा करो
...
सरहदों पर कुछ लहू जो टपके
शहीदों के,
जिस्म से निकल हिंदुस्ता में भर गया
सहादत देख वीरों की पूरी देश सेना बन गया
...