यह पश्चिम का एजेंडा है Poem by Shashi Bhushan Kumar

यह पश्चिम का एजेंडा है

यह पश्चिम का एजेंडा है
भारत बांटने का सबसे
आसान तरीका है

इतिहास गवाह है पन्नों पर
मुस्लिम लीग के दंगो पे
खुद को कुछ देशभक्त कहते
कार्यरत है इस कर्मों पे

विकास तभी संभव है जब
पूरी बहुमत हो सरकारों को
शुरू किया यह धंधा था
पहले देश आजादी से
चला रहा हैं अब तक वह
बहुत बड़े होशियारी से

वंचित रहा है जनता अब तक
यह अनचाही सच्चाइयां से
भोले भाले बात में आकर
पिट रहा महामारी से

पहले पिटता था यह
बड़े बड़े जमींदारों से
आज पिट रहा है
बड़े-बड़े विद्वानों से

थोड़ी सी शोहरत मिली
मांग करे तब कुर्सी की
भोले-भाले जनता समझे
यह बात करे यह प्रगति की

दे दे के बहुमत अबकी बार
बना दे सरकार की
हाल रहा जब यही देश में
तो हर परिवार की पार्टी हो
बिना बांटे ही देश बांट जाए

जब ऐसी गद्दारी हो
कौन चलाएं देश अगर
हर घर-घर ही सरकारी हो
यह पश्चिम का एजेंडा है
भारत बांटने का सबसे
आसान तरीका है

पैसे ले लेकर शोहरत से
वंचित रहा हूं मैं
विश्व गुरु बनने का क्या
विश्व फकीर बना हूं
विकास संभव हो कैसे

जब कोलेशन की सरकारें हो
संभव कैसे विकास जब
13 दिन में ही सरकार गिरा
कौन लौटाये काला धन
कैसे बचाएं फिर सरकार

जब पार्टी कूदने की सुविधा
देश में चले बेशुमार
कैसे कहें ईमानदार किसी को
कैसे कहे गद्दार

घर के बीचो-बीच हो
एक हजार दीवार
कैसे कोई क्रांति चले
जो मिले लोगों को अधिकार
जब देशप्रेम की चोला दिखे

और निकले चोर गवाड़
अन्ना को अनुदान मिले
पार्टी को सरकार
देश के कोने-कोने से

आए जख्मी बीमार
वैद्य ही धंधा छोड़ा और
बनाए नई सरकार
ये पश्चिम का एजेंडा है
भारत बांटने का सबसे
आसान तरीका है

देश बांटने जैसे है
जो बांटे देश की भाव को
ना समझे यह भोले भाले
की गांधी की कमी पड़ी है
नेहरु जिन्ना की होर में

हमको हमको करते-करते
इक देश बना फक़ीर (पाकिस्तान)
यह पश्चिम का एजेंडा है
भारत बांटने का सबसे
आसान तरीका है

जय हिंद
@शशि भूषण

Tuesday, November 13, 2018
Topic(s) of this poem: hindi
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success