सरहदों पर कुछ लहू जो टपके
शहीदों के,
जिस्म से निकल हिंदुस्ता में भर गया
सहादत देख वीरों की पूरी देश सेना बन गया
लहू में उफान इतनी थी जो जिस्म से निकला
और कुरान की आयातों मैं आ गया
गीता की श्लोकों में आ गया,
उस शहीदों की लहू में उफान इतनी थी,
जो जिस्म से निकला और रामायण के दोहे तक में
आ गया,
सरहदों पर कुछ लहू टपके शहीदों के,
कैसा लहू था जो कर्ज हम सबके ऊपर आ गया!
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