इन आंखो के नूर से Poem by Shashi Bhushan Kumar

इन आंखो के नूर से

इन आंखो के नूर से जो कहानी लिखी जाती है
प्यासे दरिया होते हैं लब्ज पानी होती है

मोहब्बत, वफादारी, दरियादिली, , सब साथ है
आज भी तुझ से बिछड़ने की वजह की तलाश है

उस सुराही को लौट आ जाना
समंदर को आज भी वह पानी याद है

डूबने की चाहत दिलों दिमाग पर होता है
हमें, तेरी आंखों का वह पानी याद है ||

Tuesday, November 13, 2018
Topic(s) of this poem: love and art
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