आदमी Poem by Aftab Alam

आदमी

Rating: 4.4


हवा हूँ, मैं बनजारा हूँ,
लोफ़र हूँ, आवारा हूँ//

भौंरा हूँ, मैं फूल भी हूँ,
धरती का मैं धूल भी हूँ
नदियों का किनारा हूँ
बहती तेज मैं धारा हूँ//
हवा हूँ, मैं बनजारा हूँ,
लोफ़र हूँ, आवारा हूँ//

भीरू मैं, मैं वीर भी हूँ,
रांझा मैं, मैं हीर भी हूँ
अपनो का नाकारा हूँ
दुखियों का सहारा हूँ//

हवा हूँ, मैं बनजारा हूँ,
लोफ़र हूँ, आवारा हूँ//

सतरंजी इस दुनिया में,
मैं तो बस एक मोहरा हूँ
मीठा मैं, मैं खारा हूँ
जीता मैं, मैं हारा हूँ//

हवा हूँ, मैं बनजारा हूँ,
लोफ़र हूँ, आवारा हूँ//

****
आफ़ताब आलम 'दरवेश'

COMMENTS OF THE POEM
Pardaz Sheikh 28 September 2013

achhaaaaa hai achhhhhaaaa hai

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Shraddha The Poetess 27 September 2013

nice one................

0 0 Reply
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Aftab Alam

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