माँ Poem by Shashi Shekher Singh

माँ

हाँथो में जिसके जादू समाया हैं,
चरणों में जिसके खुदा भी सर झुकाया हैं,
जिसके कदमो में जन्नत की सैर है यारो,
खुशहाल हु मै जो माँ का प्यार पाया है,

मेरे लिये रात भर जागने बालि,
खेल में मेरे पीछे भागने बालि,
थक कर चूर होते हुए भी दोस्तों,
आराम के इक पल भी ना मांगने बालि,

भूखी खुद रह जो मुझे खिलाती है,
लोरियां गा कर जो मुझे सुलाती है,
वो सिर्फ माँ का आँचल है यारो,
सब के हिस्सों का दुख जिसमे समाती है,

हर दर्द में दिल जिसे बुलाता है,
नाम से जिसके गम भाग जाता है,
उसको कभी न दर्द देना यारो
ठेस तुम्ही लगती तो आँशु उसके निकल जाता है,

माँ
Tuesday, January 24, 2017
Topic(s) of this poem: love,mother
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Shashi Shekher Singh

Shashi Shekher Singh

Lakhisarai, Bihar
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