अपना भरोसा
मंजीले मिलेगी अगर भरोसा अपना हो,
रौशनी होगी अगर दीप अपना हो,
चलना संभल के मंजिल के रास्ते पर,
सड़क एक नहीं हजारों होगी,
बचाए रखना अपने आप को,
पारी एक नहीं अनेक होगी,
मंजिले मिलेगी अगर भरोसा अपना हो,
गीत गूंजेगी अगर गीत अपना हो,
दुखों की राह पर चलना,
सुखो की पहचान है,
आगे बढ़ना और बढते रहना,
मंजिल पाने की पहचान है,
मंजिले मिलेगी अगर भरोसा अपना हो,
निशा भी दिन हो अगर चंद्रमा अपना हो,
संकट में दिल के सागर में झाककर देखना,
जो मन कहे उसे मानकर देखना,
फिर अपना भी क्या?
सड़क और मंजिल दोनों तुम्हारी होगी,
मंजिले मिलेगी अगर भरोसा अपना हो,
बारिश होगी अगर बादल अपना हो,
डरना नहीं मिलेगी हजारों दुश्मन तुम्हारे,
चलना संभल के मिलेगी मंजिल तुम्हारी,
क्या है तुम्हारा अपना यहाँ पर?
जिसे खोने का डर है तुझमें समायी,
मंजिले मिलेगी अगर भरोसा अपना हो!
मंजिल पाना कठीन नहीं अगर ईरादा अपना हो!
लालजी ठाकुर(दरभंगा)
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