उसकी ख़ुशी Poem by Laljee Thakur

उसकी ख़ुशी

Rating: 5.0

उसकी ख़ुशी

मेरे मन में कुछ बाते है,
जो शायद उसके मन में है,
उसके मन में कुछ बाते है,
जो शायद मेरे मन में भी है,

दुनिया कितनी अजीब है,
कितने अजीब है ये भी पल,
न वो मुझे कुछ कह पाती है,
न मैं ही कुछ कह पाता हूँ,

दिल झकझोरता ही जा रहा है,
मन तड़पता भी रहता है,
किस्मत कैसी है हमारी?
चाह कर भी नहीं मिल पाते,

प्यार और मुहब्बत करता हूँ,
पर हिम्मत नहीं कुछ कहने का,
यहाँ कुदरत का खेल देखो,
ये एक दूसरे को रुलाती भी है।

उसने भी कभी हिम्मत नहीं की,
मुझे लगा कि मैं ही पागल हूँ,
पर उसकी उस दिन की नजर,
सब कुछ सही सही कह गई,

मैं उसके दर्द को समझ गया,
और उसके रास्ते से हट गया,
इसलिए नहीं की मैं खुश रहूँ,
केवल इसलिए कि वो खुश रहे,

और उसकी ख़ुशी ही सच में,
आज मेरी जिंदगी बन गई है,
इस दुनिया का सच क्या है?
हम दोनों बखूबी समझ गए है,

लालजी ठाकुर

उसकी ख़ुशी
Saturday, March 19, 2016
Topic(s) of this poem: love and dreams
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COMMENTS OF THE POEM
Aarifa Almas 19 March 2016

Bahut hi pyaari Kavita Hai ... Jinse hum mohabbat karte hain unki khushi ke liye hum apni khushi tyaag dete hain.. Aapki is Kavita ne bahut hi ache andaaz Mei darshaya Hai.. Beautifully expressed poem..

0 0 Reply
Akhtar Jawad 19 March 2016

Thakur Jee, I know Hindi and I really enjoyed this touching poem, nicely penned by you.

0 0 Reply
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