तू मुझे जीने के लिए ऐक रात तो दे दे,
मुहब्बत की कोई प्यारी सोगात तो दे दे।
तडफ रहा है बदन तन्हाई की तपिस मेँ,
तू शावन की कोई बरषात तो दे दे।
ले रही है अँगडाईयाँ दिल की आरजू,
तू कोई तो हँसी मुलाकात तो दे दे।
मै उलझा हूँ खुद अपने ही ख्यालोँ मेँ,
तू मेरी भावनाओ को अब जजबात तो दे दे।
G.N.M
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Aapki yeh sunder kavita padhi jo bahut pasand aai.