हाले दिल मुहब्बत का मै किसी को बता नही सकता,
है कितनी मुहब्बत तुमसे ये लब से जता नहीँ सकता।
और अब तो हाल है असा,
बिना परोँ के परिन्दोँ जैसा।
मै तुझे आषमाँ की तरहाँ घूर तो सकता है, पर चाहकर भी तुझे पा नही सकता।
G.N.M
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