ना भूल पाएंगे Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

ना भूल पाएंगे

हमने तुमको चाहा है और चाहेंगे
तुम जानती हो, पहचानती हो
तुम भुल जाना लेकिन हम ना भुल पायेंगे

इक लगाव सा लगाया है, हमने दिलसे
इक प्यार सा है तुमसे, जो निबाना है
फिरसे
तुम वारती हो, सँवारती हो
तुम्हे मित माना है, यही हम नित मानेंगे
तुम भुल जाना लेकिन हम ना भुल पायेंगे

झंझा सा इक तूफान है, मेरे सिरपे
इस पार से जाना है, उस पार तैरके
तुम सारथी हो, पुकारती हो
तुम्हे जित माना है, यही हम रीत मानेंगे
तुम भुल जाना लेकिन हम ना भुल पायेंगे

Tuesday, December 30, 2014
Topic(s) of this poem: love
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