Dr. Ravipal Bharshankar

Dr. Ravipal Bharshankar Poems

'सच को सच और; झठ को झुठ करके जानता,
इंसान वो जो शब्द और; निश: ब्द दोनो जानता.
जिंदगी ये कौनसी; जो जीये जाए मरे,
इंसान वो जो जिंदगी; और मौत दोनो जानता.'
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स्त्री- भृण- हत्या
                         
तुम मुझे कहाँ प्यार देते हों
अच्छा हैं जो तुम मुझे, पेट में ही मार देते हों
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आना जाना ऐसा समा, मिलना बिछड़ना ऐसा समा
बाग में जब गुल खिला, खिल उठा मन माली का
शाख से जब वो गिरा, मन मेरा रो पडा
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कविता है हो जाना, कविता है खो जाना
कविता एक दिन नहीं, कविता है रोजाना
कविता तेरा मेरा, एक रूप एक दर्पण
कविता तेरे मेरे, दिल की एक धड़कन
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एकबार जिंदगी पे, ऐतबार करके देखो
माहौल जिंदगी है, जरा प्यार करके देखो
||धृ||
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'व्यर्थ तेरी इबादत; व्यर्थ तेरी भक्ती,
बरबाद हो रहीं हैं; तेरी सारी शक्ती.
शिक्षा से हीं होगा तेरा कायाकल्प,
शिक्षा से हीं होगी; स्त्री तेरी मुक्ती'.
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मैं राजा, तु राणी
मैं तेरी दीवानी हूँ
राज में मेरे होगा वही
जो मैं कहूँ
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हरेक पल है साथ साथ तु
यही लगे है आस पास तु

तु इक लगाव है
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ऊचु चूचु सोनी चिड़ीया,
ऊलु लूलु प्यारी गुड़ीया
तेरे मन का भेद मै जानू,
जानु जानीया, जानु जानीया
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बेकरार है, मेरी नजर,
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
बेशुमार है, दिल में मुहब्बत
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हमने तुमको चाहा है और चाहेंगे
तुम जानती हो, पहचानती हो
तुम भुल जाना लेकिन हम ना भुल पायेंगे
...

खुद ही से तलब होने का अंदाज चूक जाता है
है गीत मेरी आँखो में, पर साज़ चूक जाता है

जाग जगाए रहता हुँ, और देखते रहता झाँसो को
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झूठ कहते है दुनियाँवाले कि वो जर्रे-जर्रे में है
मै तो कहता हुँ कि, जर्रा-जर्रा खुद उस में है

सुख-शांती कहा है किसी को पगार-पाणी में
...

किसीके सहारे नहीं,
जिंदगी, बीन तुम्हारे नहीं
बीच मझधार में; कूद जाते है जो,
सँवारे हैं; बारे नहीं
...

प्यार करना गलत नहीं है
प्यार ना करना गलत है,
पुछों किससे!
..किससे?
...

दो रास्ते हैं, ‘करना' और ‘होना'
जाओ कहीं, मगर, खयाले ‘जान' रखना

बड़ी कसरते हुई है, पाने में ‘जिंदगी'
...

मैं तेरे दांव मे दरकार ना हो जाऊँ कहीं
और तेरे गांव में सरकार ना हो जाऊँ कहीं

दिल दिया है तुझे जां फकत तेरी हैं
...

यहां वहां, इधर उधर, डगर डगर
जमीं खा गई या, आसमां गया निगल आजकल

मेरे इस गांव में कम नहीं गरीबी
...

खयाल पे खयाल ना कर, खयाल परिंदा होते हैं
खुदी पे मर, गुनाह ना कर, गुनाह जिंदा होते हैं

ये कौन सा धुवाँ हैं, तेरे मेरे दरम्यान
...

Dr. Ravipal Bharshankar Biography

I am a simple; direct and honest man. Birth: In a Buddhist family. On- 09/08/1972; At- Hinganghat; District-Wardha; Maharashtra; India Parents: Mother- Dwarka; Father-Uddhao Cast: Mahar Education: Class 1 to 4 Chokha Prathsamic School; Class 5 to 10 New Municipal High School; Class 11 to12 Bharat junior College; all at Hinganghat. Degree- B. A. M. S. At Government Ayurveda College and Hospital Nagpur. Profession: General Medical Practice at Hinganghat since-01/03/1999 Website: www.ravipalbharshankar.blogspot.com and; www.poetsofhinganghat.blogspot.com Email: ravipalbharshankar@gmail.com Caller ID: 9890059521; 8482838205 Hobby: Meditstion and Poem My friends Naushad Alam says: 'Uncomplicated guy' to me.)

The Best Poem Of Dr. Ravipal Bharshankar

भारत; भारत में गैर रखना

'सच को सच और; झठ को झुठ करके जानता,
इंसान वो जो शब्द और; निश: ब्द दोनो जानता.
जिंदगी ये कौनसी; जो जीये जाए मरे,
इंसान वो जो जिंदगी; और मौत दोनो जानता.'

मजहब नहीं सिखाता; आपस में बैर रखना.
मजहब तो नहीं हैं; कहाँ से खैर रखना.

हिंदी हैं हम; वतन हैं; हिंदोस्तां हमारा,
बाकी; बे-वतन हैं; उनका भी शैर रखना.

भारत एक राष्ट्र नहीं हैं; वास्तव में; असल में,
भारत तो धृतराष्ट्र बना हैं; जाती में जैर रखना.

कुछ हैं जो अभीतक; जिवित बचे रहे हम,
आती हैं हमको नय्या; भवसागर में तैर रखना.

युँ ही नहीं जो हमने; सबकुछ पकड लिया हैं.
सिखो तो हमसे दुनियाँवालो, जुबां पे नैर रखना.

परछाई के जैसे भारत, पिछे सरक रहा हैं,
हिंदुस्तान आगे; भारत, भारत में गैर रखना.

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