मेरी नज़र तेरे लिए Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

मेरी नज़र तेरे लिए

बेकरार है, मेरी नजर,
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
बेशुमार है, दिल में मुहब्बत
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
मै सोचता हुँ तु
पुरब की पहली किरण है,
मेरे लिए
मै सोचता हुँ तु
सांझ की संध्या, रजनीगंधा है,
मेरे लिए
बेकरार है, मेरी नजर,
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
बेशुमार है, दिल में मुहब्बत
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
मै सोचता हुँ तु
फूलों से लथपथ, वन में पड़ी लता है,
मेरे लिए
मै सोचता हुँ तु
खिलखिलाती, बलखाती सरीता सरी है, मेरे लिए
बेकरार है, मेरी नजर,
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले
बेशुमार है, दिल में मुहब्बत
तेरे लिए
पतंगा मेरा दिल जले

Tuesday, December 30, 2014
Topic(s) of this poem: love
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