साथी तु मेरा Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

साथी तु मेरा

साथी तु मेरा, मुझेको सच्चा लगता हैं
तेरे संग-साथ, मुझको अच्छा लगता है

मीठी सी खुशबू आती है, तेरे रग-रग से
तेरे लब के अंगारे, जैसे दहकते
तु जो बोले ऐसे जैसे, कच्छा लगता हैं
तेरे संग-साथ, मुझको अच्छा लगता है

युं होता है जब तु मुझसे, मिलने आता हैं
कोई सुखद खयाल हो जैसे दिल में आता है
तेरी खीस हंसी, तु बिलकुल बच्चा लगता है
तेरे संग-साथ, मुझको अच्छा लगता है

सोच समझ कर नेक भली सी राह चला है तु
तेरे पास हैं तेरा दमखम, तेरी कला हैं तु
चालाकी में और छली में, कच्चा लगता है
तेरे संग-साथ, मुझको अच्छा लगता है

(डॉ. रविपाल भारशंकर)

Tuesday, December 30, 2014
Topic(s) of this poem: love
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