मैं तेरे दांव मे दरकार ना हो जाऊँ कहीं
और तेरे गांव में सरकार ना हो जाऊँ कहीं
दिल दिया है तुझे जां फकत तेरी हैं
मैं तेरे नांव में पतवार ना हो जाऊँ कहीं
बंध गया इसकदर हूँ तेरे प्यार में
मैं तेरे पांव में झनकार ना हो जाऊँ कहीं
तु बूता है, तुझे बुत बना देते हैं
मै तेरे हाथ में तलवार ना हो जाऊँ कहीं
फन तेरा ये मुझे होश में ला देता है
मै तेरे चांव में जानकार ना हो जाऊँ कहीं
(डॉ. रविपाल भारशंकर)
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