आओ सब मिल कर एक साथ
हम अपने कदम बढ़ाये
युग युग से रहे उपेछित जो
हम उन को गले लगाये
निंदा को भूषण मान आज
उसको सहर्ष स्वीकार करे
पहने कांटो का कंठहार
अपमान शीश पर धारे हम
दुखियों के अंतिम आश्रय की
मिट्टी का करे नमनवनदन
आनंदसुधा से भरे हृदर्य
महके मुसकाये जन गण मन! !
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