फलक देता है जिनको ऐश Poem by Shobha Khare

फलक देता है जिनको ऐश

फलक देता है जिनको ऐश उनको गम भी होते है
जहां बजते है नक्कारे वहा मातम' भी होते है
गिले शिकवे कहा तक होंगे आधी रात तो गुजरी
परिशा तुम भी होते हो, परिशा हम भी होते है

Sunday, August 31, 2014
Topic(s) of this poem: Life
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