अभिशाप या वर Poem by Shobha Khare

अभिशाप या वर

चाहा था तुझ मे मिटना भर,
दे डाला बनना मिट- मिट- कर,
यह अभिशाप दिया है या वर,
पहली मिलन - कथा हू या मै,
चिर विरह कहानी!
बताता जा रे अभिमानी!

Sunday, August 31, 2014
Topic(s) of this poem: Life
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