जीवन का सार Poem by Shobha Khare

जीवन का सार

Rating: 5.0

जाने के दिन कह जाऊँगी
मै अपने जीवन का सार
जो देखा, जो पाया उसकी
तुलना करना है बेकार


चिंता है दीवार नाम की
ओछी रह न किसी से जाय
अरे! नाम के पीछे मै ने
अपने क्ष्रर्ण अनमोल बिताय

मिथ्या है धारणi कि हमको
नाम लाभ यह पहुचiएंगा
हम न रहेंगे नाम हमारा
दुनिया मे पूंजा जाएगा II

Monday, February 2, 2015
Topic(s) of this poem: Life
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 05 May 2015

Hum na rahenge nam tumhara duniya mein pooja jaega..........................10 Ek sunder Kavita.

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