सोचा जो हमने वो अजब सा था
आया जो सामने वो ग़ज़ब सा था
गुनाह ए तग़ाफ़ुल मेरा सही पर
यूँ उनका बरसना बेसबब सा था
रकीब के मिलने से ख़ुशी तो हुई 20
आगे वो मेरे कुछ कमज़र्फ सा था
ये तेरा शहर है जान गए थे हम
हर चेहरा हर सू बे अदब सा था
मस्जिद जाकर हैरत सी हुई हमे
शक्स जो भी मिला ला मज़हब सा था
साँसों से खेलती रही सबाह
झोंका हर एक तेरी महक सा था
बिन तेरे क्या अपना रैन बसेरा
हर आशियाँ जैसे क़फ़स सा था
छोड़ कर तुझको जाए कहाँ तलब
मिला कौन उसे जो हम नफ़स सा था
ग़ज़ब = Calamity
तगाफुल = neglect, carelessness
बेसबब = without reason
रक़ीब= rival
कमज़र्फ = Shallow, witless
ला मजहब= irreligious
क़फ़स= cage
हम नफ़स= of the same breath, close friend
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बहुत खुबसूरत ग़ज़ल. नीचे दिया गया शे'र बतौरे ख़ास ध्यान खींचता है: ये तेरा शहर है जान गए थे हम हर चेहरा हर सू बे अदब सा था