बस यूं ही यादों में समाए रहिये Poem by Talab ...

बस यूं ही यादों में समाए रहिये

बस यूं ही यादों में समाए रहिये
इक पल को भी हम भुलाएँ फिर कहिये

देख चीर कर सीना मेरा ये तस्वीर
तुम्हे अगर वो ना भाए फिर कहिये

कोई बात ठीक सुनाई नहीं देती
हर बार क्या दोहराएं फिर कहिये

जब जब सुना उनका इज़हार ए मुहब्बत
उठी दिल से ये सदाएं फिर कहिये

यूं ना मानोगे के अच्छे हैं हम
ज़रा चलें इश्क़ की हवाएं फिर कहिये

शम्मा भी आग भी शोला भी है प्यार
गर तुम्हे ये ना जलाये फिर कहिये

क्या हो तलब उनसे हसीन कोई दुआ
कायनात भी पुकार उठा फिर कहिये

Wednesday, April 5, 2017
Topic(s) of this poem: love and life
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