आज फिर क्यूँ याद आ गया कोई Poem by Talab ...

आज फिर क्यूँ याद आ गया कोई

आज फिर क्यूँ याद आ गया कोई
आज फिर क्यों रुला गया कोई

डुबो ना सके पैमानों मे गम
इन में भी आब घुला गया कोई

तेरे ही नाम का वास्ता दे कर
रंजिशें और बढ़ा गया कोई

मेरे माज़ी के ज़ख्म भरे ना थे
ये कहाँ फिर से आ गया कोई

दिखा कर मुझको तेरी ही मूरत
कैसी इबादत सिखा गया कोई

यूँ उठी हर आहट पर निगाह
जैसे शायद के आ गया कोई

तू भी क्या याद करेगा तलब
आज तुझको ही भुला गया कोई

पैमाना = Goblet
आब = Water
रंजिशें = ill feelings, estrangement
माज़ी = past

Wednesday, April 5, 2017
Topic(s) of this poem: love
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