Talab ...

Talab ... Poems

I wandered as a cloud of smoke,
That floats on high o'er factories and mills
When all at once I saw a mould,
A host of silver beer tins.
...

कुछ फासले तन्हाई इक ग़ज़ल अधूरी है
अब ज़िन्दगी में थोडा गम भी ज़रूरी है

ये अदा मुंह फेर कर चल दिए जान ए जान
...

ये ज़िन्दगी का नया इक दौर सही
खुशियाँ तो नहीं गम और सही

छुपाए कहाँ छुपती है तिशनगी
...

राहों में गुज़रो तो नज़र फेरकर
यूं ही मिला करो अंजान बनकर

दिल की कश्मकश जानोगे क्योंकर
...

सोचा इक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिख दूं
हाल ए दिल क्या है सर ए आम लिख दूं

सियाही से निखरते नहीं कभी जस्बाद
...

बस यूं ही यादों में समाए रहिये
इक पल को भी हम भुलाएँ फिर कहिये

देख चीर कर सीना मेरा ये तस्वीर
...

मैंने भी बादलों में कुछ कहा है
शायद वो कहीं सुन रहा होगा

सन्नाटा ए अर्श से डरना कैसा
...

लिखा था जिस्मे तुम्हारा नाम
हाँ वही तकदीर हमारी थी

लाई ग़ज़ल जो रंग ए जमाल
...

तू खुदा है तो तेरे इख़्तियार में क्यूँ नहीं
सर मेरा दफ़्न आगोश ए यार में क्यूँ नहीं

राह बिखरे हुए काँटों का रोना कैसा
...

इक नयी ग़ज़ल तुम सुनाओ तो अच्छा लगे
पास बैठो गुनगुनाओ तो अच्छा लगे

पहचान की चमक आँखों में ना सही
...

आज फिर क्यूँ याद आ गया कोई
आज फिर क्यों रुला गया कोई

डुबो ना सके पैमानों मे गम
...

तुझे भी लोगों ने सताया तो होगा
तुझसे भी बिछड़ा कोई साया तो होगा

नए अंदाज़ में सुनाकर दास्ताँ अपनी
...

खुद जो पल गुज़ारे उसे ज़िदगी कहते हैं
जी जी कर जो मारे उसे ज़िदगी कहते हैं

होता नहीं फर्क रंजिश और ख़ुशी में दोस्त
...

हम यूँ आईने में कब देखते हैं
इस अक्स में क्या है जो सब देखते हैं

कौनसी बात सुनाई उन्हें लोगों ने
...

क्या पीता हूँ मय मुझे पीती है
ये प्यास जब तक ना बुझे पीती है

अमी है ये ना आब ए ज़म ज़म साकी
...

कभी वो अपनी ज़ुल्फ़ों से खेलते हैं
कभी वो मेरी तक़दीर से खेलते हैं

चेहरे पर शिकन नज़र आती नहीं फिर भी
...

तू भी सबकी तरह बेवफा तो नहीं
सहनी कोई हमे नयी जफा तो नहीं

छुपाए रखना अपने आग़ोश में मुझे
...

सोचा जो हमने वो अजब सा था
आया जो सामने वो ग़ज़ब सा था

गुनाह ए तग़ाफ़ुल मेरा सही पर
...

हया दुनिया से थी मगर ओझल हम से किया
रुस्वाई ज़माने में थी पर्दा हम से किया

तेरा ये फ़साना भी मुन्फरीद सा है सनम
...

*हम ही तुम्हारे कब थे
तुम तो हमारे सब थे

*डूब गए नहीं बढ़ाया किसीने हाथ
...

The Best Poem Of Talab ...

Daffydils - English Poem

I wandered as a cloud of smoke,
That floats on high o'er factories and mills
When all at once I saw a mould,
A host of silver beer tins.

Beside the dump, amidst the heap,
Towering high, yet buried deep.
Continuous as the babies are born,
Crowding the hospital passageways.
They stretched in a ne'er-ending line
Like the oil slick in the bay.

Ten thousand saw I at a glance,
Balancing delicately in an awkward stance,
The urchins beside them danced,
But they out numbered them hopelessly.

A poet could not but compare,
The beer tins here and the urchins there,
I gazed and gazed but little thought,
What wealth the show to me had brought

For oft, when on my couch I lie,
Doing nothing of particular use,
They flash upon those lips, parched dry,
Which is the bliss of thirstitude.

And then my body sways and sings,
And dances with the beer tins.

Talab ... Comments

Talab ... Popularity

Talab ... Popularity

Close
Error Success