तुझे भी लोगों ने सताया तो होगा
तुझसे भी बिछड़ा कोई साया तो होगा
नए अंदाज़ में सुनाकर दास्ताँ अपनी
सबको हसा हसा कर रुलाया तो होगा
मुहब्बत जो हम दोनों इस तरह कर बैठे
तहमुल्ल ए खुदा आज़माया तो होगा
तोहमत ए बेवफाई लगी है जो तुम पर
ज़रूर किसी का दिल दुखाया तो होगा
सोचता हूँ इस बड़े जहाँ में खुदा ने
कहीं किसी को अपना बनाया तो होगा
मै हूँ तेरे नसीब में या फिर नहीं
हाथों की लकीरों में नुमाया तो होगा
पढ़ कर इतनी सुहानी ग़ज़ल आज तुझको
थोडा सा तलब पर प्यार आया तो होगा
तहमुल्ल = patience, toleration
नुमाया = visible
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल जिसमे जज़्बात की उम्दा नक्काशी दिखाई देती है. एक बहुत अच्छी रचना.