बेवजह सी एक वजह Poem by Kezia Kezia

बेवजह सी एक वजह

Rating: 5.0

बेवजह सी एक वजह है,

तुम तक ठहर जाने की।

हर ख्वाहिश को भूल कर,

तुम्ही को मनाने की।

ज़माने को छोड़कर,

तुम्ही को आजमाने की।

लाखों की भीड़ में,

तुम्ही को पहचानने की।

दुनिया के शोर में,

तुम्ही को सुन पाने की।

बेवजह सी एक आदत पड़ गई है,

यूँही तुम्हे चाहने की।

बेवजह सी वो वजह ढूंढ रही हूँ,

एक बार फिर तुम्हे,

तुम्ही से चुराने की।

***

Friday, September 18, 2020
Topic(s) of this poem: love and friendship,memory
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 19 September 2020

वाह वाह, , , Loved it, Loved it 100***** क्यों बेवजह लगने लगी ये वजह काफी है ज़िन्दगी गुजरने की ये वजह कुछ तो है आपके पास वरना लोग तो यूँ ही गुज़र देते है ज़िन्दगी बेवजह

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Varsha M 18 September 2020

Bahut behtareen rachna. यूँही तुम्हे चाहने की। बेवजह सी वो वजह ढूंढ रही हूँ, एक बार फिर तुम्हे, तुम्ही से चुराने की।.... bahut sundar rachna. Dil ko cho gaya. Dhanyawad.

0 0 Reply
Kezia Kezia 22 September 2020

thanks u so much for liking my poem

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Sharad Bhatia 18 September 2020

बेवजह सी एक वजह वाह दिल खुश हों गया एक और बेहतरीन दिल को छूने वाला अहसास

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