What I Have To Be...? (क्या बनूँ...?) Poem by Pawan Kumar Bharti

What I Have To Be...? (क्या बनूँ...?)

Rating: 4.5


जाना नही चाहता मैं काशी, ना जाना चाहता काबा!
ना ही कोई सिद्ध स्वामी, ना बनना चाहता हूँ बाबा! !
ना कोई बड़ा चित्रकार, ना कोई साहित्यकार बनूँ!
कोई कवि भी ना बनूँ, ना कोई शिल्पकार बनूँ! !
कोई महान संगीतकार या कोई गायक नही बनना!
देश सेवा का ढोंग दिखा के, नेता नायक नही बनना! !
कैसा था ये देश कभी और अब कैसा हो गया है!
देश पे मर मिटने का भी अरमान खो गया है! !
चाहत थी की बन जाऊं मैं कोई फिल्मी कलाकार!
या महान वैज्ञानिक बन, जीत लूँ नोबल पुरूस्कार! !
हर बड़ा काम मैं ही करूँ, ये ज़रूरी तो नही!
सफलता ना मिली अगर तो मरना ज़रूरी तो नही! !
हे ईश्वर...मुझे इन सब चक्करों से बाहर निकाल दे!
केवल एक सामान्य से मानव के साँचे मे ढाल दे! !
बस 'पवन' मैं अपने पितरों का मान बन जाऊं!
कुछ बनूँ ना बनूँ एक अच्छा इंसान बन जाऊं! !

Saturday, May 17, 2014
Topic(s) of this poem: human nature
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This poem stats that one should be at least a good human being. All professions are secondary, first of ll we should be a human.
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