कुख से जन्म Kukhse Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कुख से जन्म Kukhse

Rating: 5.0

कुख से जन्म

मंगलवार। २९ मई, २०१८

यौवन ने दी दस्तक
बिदा हो गई पुस्तक
बस लोग कहने लगे
गुडिया को बिदा करो रंगसँगे।

मुझे भी फर्क लगा
बदन में कुछ ऐसा लगा
मानो नया कलेवर जाग उठा
मेरे सपनों को ले उड़ा।

"यही दुनिया की रीत है "
प्रीत की नहीं जीत है
पराए घर जाना है
दूसरों को अपना बनाना है।

मेरे को बनाएंगे विवाहिता
में हो जाउंगी परिणीता
लेख लिखती है विधाता
सबकी है उसमे मान्यता।

मैं बनूँगी तुलसी, किसीके आँगन की
महक जाउंगीबांके कस्तूरी हिरन की
नाम तो रोशन करुँगी ही पर ख्याल भी रखूंगी
माँ बाप का नाम रोशन करके चमकाऊँगी।

हमारा नाम दो जगह लिया जाता है
समाज को हरदम अच्छा काम सुहाता है
"हम से है दुनिया"दुनिया का रचयिता भी मानता है
"हमारी कुख से जन्म लेकर"महान कहलाता है।

हसमुख अमथालाल मेहता

कुख से जन्म Kukhse
Tuesday, May 29, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

हमारा नाम दो जगह लिया जाता है समाज को हरदम अच्छा काम सुहाता है हम से है दुनियादुनिया का रचयिता भी मानता है हमारी कुख से जन्म लेकरमहान कहलाता है। हसमुख अमथालाल मेहता

0 0 Reply

welcoem s r lekha 1 Manage Like · Reply · 1m ·

0 0 Reply

welcome tribhvan kaul 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

Tribhawan Kaul भावों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। वाह। हार्दिक धन्यवाद। :) 1 Manage Like · Reply · See Translation · 2h

0 0 Reply

welcome Liza Abe 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

welcome Nimapyoung Maden 7 mutual friends

0 0 Reply

Marivic Fernandez Montehermoso Tango-an Friend Friends

0 0 Reply

welcome Liza Abe 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

welcome ranjan yadav 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

welcoem harshad gosai 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success