इतिहासिक भूले
इतिहास में जो हमने जो भूल किया है, कुर्सी के लिए उसको कबूल किया है
सन ४७ की भूल नहीं मुझको कबूल, सन ४७ की भूल नहीं मुझको कबूल
इससे बढ़ियाँ है फांसी पे झूल, इतिहास के ये भूल, ये इतिहास के है भूल
इतिहास में जो हमने जो भूल किया है, कुर्सी के लिए उसको कबूल किया है
देश का बटवारा कहा किसके द्वारा-२ , माउन्टबेटेन का आधार लगा सबको प्यारा
जिन्ना नेहरू और गाँधी की कैसी ये भूल, अगस्त १४ की रात किया योजना कबूल
इन सभी को कभी न तू भूल, इतिहास के ये भूल, ये इतिहास के है भूल
आगे चलते-चलते बताये , आँख को मलते
कैसे हूए है हलाल मेरे देश के सब लाल मेरे देश के सब लाल, मेरे देश के सब लाल
खुदी राम की फांसी, उदासी देश के वासी
राजगुरु सुखदेव और भगत सिंह का प्यार
हंसते हंसते लगाया फांसी को गले यार
शहीदों के बल पे आगे चलते चलते, देश हुआ है आजाद लास जलते जलते
आजादी तो हमें मिल गयी पर हम न हुए आजाद
रोते रोते माँ सोती उजड़े जिनके बाग़
जाते जाते गोरो दी बीमारी , नाम जिसका है भ्रष्टाचार प्यारी
इतिहास के ये भूल है मूल सभी भूलो को कांग्रेस ने किया कबूल
इसीलिए कहता हूँ अब नहीं करना भूल, देशवासियों के सामने कमल का फुल
सरदार की ताकत का फिर से हम आगाज करे, एक सूत्र में अब देश की आवाज करे
कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण करे, देश की आजादी को हम सभी प्रणाम करे
इतिहास के भूलो को हम नहीं भुलायेंगे, देश के सामने कोई कमी ना लायेंगे
इतिहास में जो हमने जो भूल किया है, कुर्सी के लिए उसको कबूल किया है
अविनाश पाण्डेय 'खुश'
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