तेरा स्वर Poem by Shobha Khare

तेरा स्वर

सब से बड़े प्रेम से मिल जुल
जी भर सबका हाथ बंटा कर
दुनिया के मेले मे मुझ को
खुशी मिलेगी तुम को पा कर


आशा अभिलाषमय जग मे
सुख दुख झेलुंगी छाती पर
भव सागर पार करूंगी मै
उत्ताल तरंगो से लड़ कर

आघातो को सहते - सहते
जब होगी यह काया जर्जर
जग के अपार कोलाहल मे
तब मै खोजुंगी तेरा स्वर II

Friday, April 24, 2015
Topic(s) of this poem: life
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