जरूरत Poem by Ajay Srivastava

जरूरत

भक्ति नही करता हुँ
स्वार्थ सिद्धि करता हुँ
डर छुपाने की कोशिश करता हुँ
जरूरत पड सकती है
इसलिए भागवान की भक्ति करता करता हुँ

प्यार नहीं करता हूँ
उपहार पाने की इच्छा रखता हूँ
अनुचित लाभ उठानेकी कोशिश करता हूँ
जरूरत पड़ सकती है
इसलिए सम्बन्ध निभाता हूँ

Tuesday, July 3, 2018
Topic(s) of this poem: need for human
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