प्रेम Poem by Ajay Srivastava

प्रेम

किसी को सरलता से मिल जाता है।
किसी को काफी परिश्रम के बाद मिलता है ।
युवा वर्ग इसको पाने के लिए हर सीमा पार कर लेता है।
जीवन भर प्रयास करके भी भाग्यहीन इसको नहीं पाते।
यत्र, तत्र और सर्वत्र उप्लब्ध रहता है।
यही विश्व शांति का स्रोत्र है।
इसके रूप अनेक होते है ।
रूप ही इसको पहचान देते है।
पहचान के लिए सिर्फ एक दिल चाहिए होता है।
और दिल ही कहता है हाँ यही प्रेम है, हाँ यही प्रेम है।

प्रेम
Friday, October 30, 2015
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 30 October 2015

यही वि''''''''''''''श्व शांति का स्रोत्र है। इसके रूप अनेक होते है ।- - - yes, it is. It appears as per love. A heart touching poem nicely depicted.- - -10

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Kumarmani Mahakul 30 October 2015

यही वि''''''''''''''श्व शांति का स्रोत्र है। इसके रूप अनेक होते है ।- - - yes, it is. It appears as per love. A heart touching poem nicely depicted.- - -10

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Kumarmani Mahakul 30 October 2015

यही विश्व शांति का स्रोत्र है। इसके रूप अनेक होते है ।- - - yes, it is. It appears as per love. A heart touching poem nicely depicted.- - -10

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