सपने Poem by Ajay Srivastava

सपने



वास्तविकता सपना नही होती है
हर वास्तविकता पहले सपना ही होती है
सपने आकाश की ऊंचाई से भी ऊपर
पल पल हर पल एक नई ऊंचाई की तरफ 11

वह सब करने की चाह
जो अब तक अधूरा सा है
ना तो किसी तूफान का भय
ना तो किसी आंधी का तनाव 11

राह की हर बाधा को सरलता से
पार कर लेने की चाहत
हो अगर मजबूत इरादे
सही दिशा मे हो तो सपने
साकार रूप मे सर झुकाए चले आते है 11

COMMENTS OF THE POEM
Geetha Jayakumar 17 September 2013

Agar majbooth irade ho to sapne ko saakar hoona hi hain... Aapki kavitha badiya hai ajay...

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