चसका Poem by Ajay Srivastava

चसका

तुम्हे ईमानदारी का
हमे बेईमानी का

तुम्हे सच बोलने का
हमे झूठ बोलने का

तुम्हे विवाद सुलझाने का
हमे विवाद करने का

तुम्हे शंति फेलाने का
हमे अशंति फेलाने का

तुम्हे वादे याद रखने का
हमे वादे भूलने का

हर किसी को चसका चडा हुआ है

किसी का चसका चमका देता है
तो किसी का चसका चित कर देता है

Wednesday, July 4, 2018
Topic(s) of this poem: hobbies
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