एक पंछी जो उड़ गया‏ Poem by Pushpa P Parjiea

एक पंछी जो उड़ गया‏

Rating: 5.0

एक पंछी उड़ गया
छोड़ा घर उसने धरती का आसमा पर घर बसा लिया
जब वो पंछी बोला कराहकर.. जाना होगा अब मुझे इस धरती के जहाँ से..
आज एक आश टूट गई.
आज एक आवाज़ छूट गई
आज तनहाइयों ने कर लिया बसेरा
आज वो हंसी की खनखनाती आवाज़ भूल गई
अब चली गई खुशियाँ उसके संग
अब न रहा कोई जीवन में उमंग
उसके जीवन की चहकती बगिया अचानक ही murza गई.
सूक्ष्म शारीर देख रहा था अपनों को पर
छू न सकता था किसी को वो
बीवी, और माँ को देख दुखी मन करता कर दूँ उन्हें सुखी
आजू बाजु देखा तो सब बिलख रहे स्नेही साथी
पता न था मेरा जाना इतना सबको रुलाएगा, मा को बेहाल कर जायेगा
बीवी की अंखियों से बहे गंगा जमुना , आँखे असुवन से उसने धोई थी
स्नेह सरिता के जल से मानो मेरी आत्मा को उन्होंने संजोई थी
था मै छोटा पर.. सबका प्यारा इतना.... था न समझ सका
भरा पड़ा था मानव सैलाब सा घर के आंगन में मेरे
हर कोई मेरी अंतिम बिदाई के लिए था आन खड़ा
पर मै भी जीना चाहता था भगवन क्यु मुझको तूने जग से दूर किया,
अभी तो शुरू हुआ था जीवन मेरा उगते फुल को क्यों कुचल दिया? .
न देखि जाती है मुझसे ममतामई माँ की पथरीली आँखे
न सुन सकू मै, .. भगवन बीवी की आहें
बच्चा मेरा अबुध अभी है ना समझे ये क्या हो रहा
पास पडोसी सगे सम्बन्धी सबके सब करते हैं अफ़सोस
कहते सुना मैंने किसीको, भगवन क्यों बनाई शराब जैसी चीज़ तूने,
जिसे पीकर गाड़ी चालक ने किया अंत मेरे जीवन का
मेरे स्वजन के जीवन के लम्हे दुखों में है डूब गए,
बिखर गए सपने सारे, और बस अब आंसू ही आंसू रह गए[/QUOTE]

Saturday, April 16, 2016
Topic(s) of this poem: alone
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 25 April 2016

शराब पी कर गाड़ी चलाने से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं का परिणाम भयानक होता है. उद्देश्यपूर्ण कविता. एक पंछी उड़ गया /....शराब जैसी चीज़ तूने / जिसे पीकर गाड़ी चालक ने किया अंत मेरे जीवन का

1 0 Reply
Pushpa P Parjiea 18 August 2017

ji bhai log sharab pikar gadi to chalate hain par unki vajah se kai bekasur logon ke jivan nasht ho jate hain .. kavita par arthpurna tippani ke liye hardik abhaar sah dhanywad.. bhai

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